हे भाई! गुरु की शब्द के द्वारा मैं अपने ह्रदय में परमात्मा का ध्यान धर्ता हूँ, और अपने जिव्हा से परमात्मा (के नाम) का जाप जपता हूँ।१। हे भाई! गुरु की हस्ती मनुख जीवन का फल देने वाली है। मैं (गुरु के) दर्शन करका सदके जाता हूँ। गुरु के कोमल चरणों को मैं अपने मन का जीवन का सहारा बनाता हूँ।१।रहाउ। हे भाई! गुरु की संगत में (रह कर) मैं जनम मरण का चक्र ख़तम कर लिया है, और आत्मिक जीवन देने वाली सिफत सलाह कानो से सुनके ( इस को अपने जीवन का) सहारा बना रहा हूँ।२।
Soohee, Fifth Mehl: Within my heart, I meditate on the Word of the Guru’s Teachings. With my tongue, I chant the Chant of the Lord.||1|| The image of His vision is fruitful; I am a sacrifice to it.His Lotus Feet are the Support of the mind, the Support of the very breath of life. ||1||Pause|| In the Saadh Sangat, the Company of the Holy, the cycle of birth and death is ended. To hear the Ambrosial Sermon is the support of my ears. ||2||
हे प्रभु ! तू सारे संसार को पैदा करने वाला है, जो कुछ तूं करता है, वोही होता है, तेरे बिना और कोई दूसरा कुछ कर सकने वाला नहीं है। (हम जीवों को) तेरी ही शक्ति है, (हमारे) मन में तेरा ही सहारा है। हे नानक ! सदा ही उस उस एक परमात्मा का नाम जपता रहो।१। हे भाई! सब जीवों को बख्शीश देने वाला परमात्मा सब जीवों के सर ऊपर राखा है। हे प्रभु ! (हम जीवों) को तेरा ही आसरा है, तेरा ही सहारा है।रहाउ। हे अपहुँच प्रभु ! हे अथाह प्रभु ! हे सब से ऊँचे और बयंत प्रभु ! हर जगह हर समय तूं ही तूं मौजूद है, तूं ही सदा कायम रहने वाला है। हे प्रभु! जो मनुख तुम्हे याद करते हैं, उन को कोई डर घेर नहीं सकता। हे नानक ! गुरु की कृपा से ही (मनुख परमात्मा के) गुण गा सकता है।२।
Tilang, Second House, Fifth Mehl: There is no other than You, Lord. You are the Creator; whatever You do, that alone happens. You are the strength, and You are the support of the mind. Forever and ever, meditate, O Nanak, on the One. ||1|| The Great Giver is the Supreme Lord God over all. You are our support, You are our sustainer. ||Pause|| You are, You are, and You shall ever be, O inaccessible, unfathomable, lofty and infinite Lord. Those who serve You, are not touched by fear or suffering. By Guru’s Grace, O Nanak, sing the Glorious Praises of the Lord. ||2||
अर्थ:- राग धनासरी, घर १ मे गुरु रामदास जी की बाणी ‘छंद’। अकाल पूरख एक है व् परमात्मा की कृपा द्वारा मिलता है। हे भाई! अगर परमात्मा आप कृपा कर, तो उस का नाम सिमरा जा सकता है। अगर गुरु मिल जाए, तो (प्रभु के) प्रेम में (लीन हो के) आत्मिक अडोलता मे (सथिर हो के) परमातम के गुणों को गा सकता है। (परमात्मा के) गुण गा के मनुख सदा खुश रहता है, परन्तु यह तभी हो सकता है जब सदा कायम रहने वाला परमात्मा को खुद (यह मेहर करनी) पसंद आये। गुण गाने की बरकत से मनुख का अहंकार , होम्य माया के मोह को त्याग देता है, और आत्मिक अडोलता में हरी नाम में लीन हो जाता है। नाम सुमिरन की दात परमात्मा खुद ही देता है, जब वेह देता है तभी मिलती है, हे भाई! परमात्मा कृपा करे तो ही उस का नाम सिमरा जा सकता है।१। हे भाई ! पूरे गुरु के द्वारा (मेरे) मन में (भगवान के साथ) सदा-थिर रहने वाला प्यार बन गया है। (गुरु की कृपा के साथ) मैं उस (भगवान) को दिन रात सुमिरता रहता हूँ, मुझे वह कभी भी नहीं भूलता। मैं उस को कभी भुलता नहीं, मैं हर समय (उस भगवान को) हृदय में बसाए रखता हूँ। जब मैं उस का नाम जपता हूँ, तब मुझे आत्मिक जीवन प्राप्त होता है। जब मैं आपने कानो के साथ (हरि-नाम) सुनता हूँ तब (मेरा) यह मन (माया की तरफ से) तृप्त हो जाता है। हे भाई ! मैं गुरु की शरण में आकर आत्मिक जीवन देने वाला नाम-जल पीता रहता हूँ (जब भगवान मनुख ऊपर कृपा की) निगाह करता है, तब (उस को) गुरु मिलाता है (तब हर समय उस मनुख के अंदर) अच्छे मंदे की परख कर सकने वाली समझ काम करती है। हे भाई ! पूरे गुरु की कृपा के साथ मेरे अंदर (भगवान के साथ) सदा कायम रहने वाला प्यार बन गया है।2।
Dhanaasaree, Chhant, Fourth Mehl, First House: One Universal Creator God. By The Grace Of The True Guru: When the Dear Lord grants His Grace, one meditates on the Naam, the Name of the Lord. Meeting the True Guru, through loving faith and devotion, one intuitively sings the Glorious Praises of the Lord. Singing His Glorious Praises continually, night and day, one blossoms forth, when it is pleasing to the True Lord. Egotism, self-conceit and Maya are forsaken, and he is intuitively absorbed into the Naam. The Creator Himself acts; when He gives, then we receive. When the Dear Lord grants His Grace, we meditate on the Naam. ||1||
अर्थ :- (सिफत सलाह की बानी विसरने से) जींद बार बार दुखी होती है, दुखी हो हो कर (फिर) और और विकारों में परेशान होती है। जिस सरीर में (भाव, जिस मनुख को) परभू की सिफत- सलाह के बाणी भूल जाती है, वह सदा विलाप में रहता है जैसे कोई कोड़ी मनुख।१। (सुमिरन से खाली रहने के कारण हम जो दुःख खुद बुला लेते है) उनके बारे में गिला-शिकवा करना व्यर्थ है, क्योंकि परमात्मा हमारे गिला करने के बिना ही (हमारे सारे रोगों का) कारण जानता है।१।रहाउ। (दुखों से बचने के लिए उस परभू का सिमरन करना चाहिए) जिस ने कान दिए, आँखे दी, नाक दिया, जिस ने जिव्हा दी जो जल्दी जल्दी बोलती है, जिस ने हमारे सरीर पर कृपा कर के जीवन को (सरीर में) टिका दिया, (जिस की कला से सरीर में) श्वास चलता है और मनुख हर जगह (चल -फिर और बोल चाल कर सकता है।२।
Dhanaasaree, First Mehl: My soul burns, over and over again. Burning and burning, it is ruined, and it falls into evil. That body, which forgets the Word of the Guru’s Bani, cries out in pain, like a chronic patient. ||1|| To speak too much and babble is useless. Even without our speaking, He knows everything. ||1||Pause|| He created our ears, eyes and nose. He gave us our tongue to speak so fluently. He preserved the mind in the fire of the womb; at His Command, the wind blows everywhere. ||2||
रागु धनासरी बाणी भगत कबीर जी की ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
राम सिमरि राम सिमरि राम सिमरि भाई ॥ राम नाम सिमरन बिनु बूडते अधिकाई ॥१॥ रहाउ ॥ बनिता सुत देह ग्रेह स्मपति सुखदाई ॥ इन्ह मै कछु नाहि तेरो काल अवध आई ॥१॥ अजामल गज गनिका पतित करम कीने ॥ तेऊ उतरि पारि परे राम नाम लीने ॥२॥
हे भाई! प्रभु का सुमिरन कर, प्रभु का सुमिरन कर। सदा राम का सुमिरन कर। प्रभु का सिमरन किये बिना बहुत जीव (विकारों में) डूबते हैं।१।रहाउ। पत्नी, पुत्र, सरीर, घर, दौलत -यह सरे सुख देने वाले लगते हैं, परन्तु जब मौत-रूप तेरा अंत समां आया, तो इन में से कोई भी तेरा अपना नहीं रह जायेगा ।१। अजामल, गज, गणिका- ये तीनो विकार करते रहे, परन्तु जब परमात्मा का नाम इन्होने जपा, तो यह भी इन विकारों से पार निकल गए।२।
Remember the Lord, remember the Lord, remember the Lord in meditation, O Siblings of Destiny. Without remembering the Lord’s Name in meditation, a great many are drowned. ||1||Pause|| Your spouse, children, body, house and possessions – you think these will give you peace. But none of these shall be yours, when the time of death comes. ||1|| Ajaamal, the elephant, and the prostitute committed many sins, but still, they crossed over the world-ocean, by chanting the Lord’s Name. ||2||