हे बही! इस जगत में कोई (अंत तक साथ निभाने वाला) मित्र (मैने) नहीं देखा। सारा संसार अपने सुख में ही जुटता पड़ा है। दुःख में (कोई किसी का) साथी नहीं बनता।१।रहाउ। हे भाई! स्त्री, मित्र, पुत्र, रिश्तेदार-यह सरे धन से (ही) मोह करते हैं। जब यह मनुख को कंगाल देखते हैं, (तभी) साथ छोड़ कर भाग जाते हैं।१।हे भाई! मैं इस पागल मन को क्या समझाऊँ? (इसने) इन (कच्चे साथियों) के साथ प्यार डाला हुआ है। (जो परमात्मा) गरीबों का रखवाला और सारे डर नाश करने वाला है उसकी सिफत सालाह (इसने) भुलाई हुई है।2। हे भाई! जैसे कुत्ते की पूँछ सीधी नहीं होती (इसी तरह इस मन की परमात्मा की याद के प्रति लापरवाही हटती नहीं) मैंने बहुत यत्न किया है। हे नानक! (कह– हे प्रभू! अपने) बिरदु भरे प्यार वाले स्वभाव की लाज रख (मेरी मदद कर, तो ही) मैं तेरा नाम जप सकता हूँ।3।9।
सोरठि महला ९ ॥ इह जगि मीतु न देखिओ कोई ॥ सगल जगतु अपनै सुखि लागिओ दुख मै संगि न होई ॥१॥ रहाउ ॥ दारा मीत पूत सनबंधी सगरे धन सिउ लागे ॥ जब ही निरधन देखिओ नर कउ संगु छाडि सभ भागे ॥१॥ कहंउ कहा यिआ मन बउरे कउ इन सिउ नेहु लगाइओ ॥ दीना नाथ सकल भै भंजन जसु ता को बिसराइओ ॥२॥ सुआन पूछ जिउ भइओ न सूधउ बहुतु जतनु मै कीनउ ॥ नानक लाज बिरद की राखहु नामु तुहारउ लीनउ ॥३॥९॥
Sorat’h, Ninth Mehl: In this world, I have not found any true friend. The whole world is attached to its own pleasures, and when trouble comes, no one is with you. ||1||Pause|| Wives, friends, children and relatives – all are attached to wealth. When they see a poor man, they all forsake his company and run away. ||1||
सलोक ॥ संत उधरण दइआलं आसरं गोपाल कीरतनह ॥ निरमलं संत संगेण ओट नानक परमेसुरह ॥१॥ चंदन चंदु न सरद रुति मूलि न मिटई घांम ॥ सीतलु थीवै नानका जपंदड़ो हरि नामु ॥२॥ पउड़ी ॥ चरन कमल की ओट उधरे सगल जन ॥ सुणि परतापु गोविंद निरभउ भए मन ॥ तोटि न आवै मूलि संचिआ नामु धन ॥ संत जना सिउ संगु पाईऐ वडै पुन ॥ आठ पहर हरि धिआइ हरि जसु नित सुन ॥१७॥
अर्थ: जो संत जन गोपाल-प्रभु के कीर्तन को अपना जीवन का सहारा बना लेते हैं, दयाल प्रभु उन संतो को (माया की तपिश से) बचा लेता है। उन संतो की संगत करने से मन शांत हो जाता है। नानक जी! (तुम भी ऐसे गुरमुखों की संगत में रह के) प्रमाता का पल्लू पकड़ ॥१॥ चाहे चन्दन (का लेप किया) हो चाहे चाँद (की चांदनी) हो, और चाहे ठंडी रुत हो-इन के द्वारा मन की तपिश कभी शांत नहीं हो सकती। नानक जी! प्रभु का नाम सिमरन करने से ही मन शांत होता है ॥२॥ प्रभू के सुंदर चरनों का आसरा ले कर सभी जीव (दुनिया की तपस़ से) बच जाते हैं। गोबिन्द जी की वडिअाई सुन कर (बंदगी वालों के) मन निडर हो जाते हैं। वह प्रभू का नाम-धन इक्कतर करते हैं और उस धन में कभी घाटा नहीं पड़ता। ऐसे गुरुमुखों की संगत बड़े भागों से मिलती हैं, यह संत जन आठों पहर प्रभू का सिमरन करते हैं और सदा प्रभू का जस सुनते हैं ॥१७॥
Salok || Sant Oudhran Deaalang Aasrang Gopaal Keertneh || Nirmalang Sant Sangen Ott Naanak Parmesureh ||1|| Chandan Chand N Sarad Rut Mool N Mittee Ghaam || Seetal Theevai Naanakaa Japandarro Har Naam ||2|| Pourree || Charan Kamal Kee Outt Oudhhare Sagal Jan || Sun Partaap Govind Nirbhau Bhae Man || Tott N Aavai Mool Sancheaa Naam Dhhan || Sant Janaa Siu Sang Paaeeai Vaddai Pun || Aath Pehar Har Dhhiaae Har Jas Nit Sun ||17||
Meaning: The Merciful Lord is the Savior of the Saints; their only support is to sing the Kirtan of the Lord’s Praises. One becomes immaculate and pure, by associating with the Saints, Nanak Ji, and taking the Protection of the Transcendent Lord. ||1|| The burning of the heart is not dispelled at all, by sandalwood paste, the moon, or the cold season. It only becomes cool, Nanak Ji, by chanting the Name of the Lord. ||2|| Pauree: Through the Protection and Support of the Lord’s lotus feet, all beings are saved. Hearing of the Glory of the Lord of the Universe, the mind becomes fearless. Nothing at all is lacking, when one gathers the wealth of the Naam. The Society of the Saints is obtained, by very good deeds. Twenty-four hours a day, meditate on the Lord, and listen continually to the Lord’s Praises. ||17||
राग वडहंस में गुरु अमर दस् जी की बानी ‘घोड़ियाँ’ अकाल पुरख एक है और सतगुरु की कृपा द्वारा मिलता है। मनुख की यह काया (मानो) घोड़ी है(इस को) परमात्मा ने पैदा किया है। मनुखा जनम भागों वाला है जो अच्छी किस्मत से मिलता है। मनुखा जनम बड़ी किस्मत से ही मिलता है , परन्तु मनुख की काया सोने जैसी है और सुंदर है, जो मनुख गुरु की सरन आ कर हरी-नाम का गाढ़ा रंग हासिल करता है, उस की काया हरी-नाम के नए रंग में रंगी जाती है। यह काया सुंदर है क्यों की इस काया से मैं परमात्मा का नाम जप सकता हूँ, हरी-नाम की बरकत से यह काया सुंदर बन जाती है। वोही बड़े भाग्य वाले हैं जिनका मित्र परमात्मा का नाम है। हे दास नानक! (नाम सुमिरन के लिए ही) यह काया परमात्मा ने पैदा की है॥१॥
Wadahans, Fourth Mehl, Ghorees ~ The Wedding Procession Songs: One Universal Creator God. By The Grace Of The True Guru: This body-horse was created by the Lord. Blessed is human life, which is obtained by virtuous actions. Human life is obtained only by the most virtuous actions; this body is radiant and golden. The Gurmukh is imbued with the deep red color of the poppy; he is imbued with the new color of the Lord’s Name, Har, Har, Har. This body is so very beautiful; it chants the Name of the Lord, and it is adorned with the Name of the Lord, Har, Har. By great good fortune, the body is obtained; the Naam, the Name of the Lord, is its companion; O servant Nanak, the Lord has created it. ||1||
धनासरी महला ५ ॥ पानी पखा पीसउ संत आगै गुण गोविंद जसु गाई ॥ सासि सासि मनु नामु सम्हारै इहु बिस्राम निधि पाई ॥१॥ तुम्ह करहु दइआ मेरे साई ॥ ऐसी मति दीजै मेरे ठाकुर सदा सदा तुधु धिआई ॥१॥ रहाउ ॥ तुम्हरी क्रिपा ते मोहु मानु छूटै बिनसि जाइ भरमाई ॥ अनद रूपु रविओ सभ मधे जत कत पेखउ जाई ॥२॥ तुम्ह दइआल किरपाल क्रिपा निधि पतित पावन गोसाई ॥ कोटि सूख आनंद राज पाए मुख ते निमख बुलाई ॥३॥ जाप ताप भगति सा पूरी जो प्रभ कै मनि भाई ॥ नामु जपत त्रिसना सभ बुझी है नानक त्रिपति अघाई ॥४॥१०॥
पद्अर्थ: पीसउ = पीसूँ, मैं (आटा) पीसूँ। संत आगै = संतों की सेवा में। जसु = सिफत सालाह। गाई = मैं गाऊँ। सासि सासि = हरेक सांस के साथ। समारै = याद करता रहे। बिस्राम निधि = सुख का खजाना। पाई = मैं हासिल कर लूँ।1। मेरे साई = हे मेरे साई! ठाकुर = हे मालिक! धिआई = मैं ध्याऊँ।1। रहाउ। ते = से। छुटै = समाप्त हो जाए। भरमाऐ = भटकना। अनद = आनंद। रविओ = व्यापक। मधे = में। जत कत = जहाँ कहाँ। पेखउ = देखूँ। जाई = जा के।2। निधि = खजाना। पतित पावन = विकारों में गिरे हुओं को पवित्र करने वाला। गोसाई = हे धरती के पति! कोटि = करोड़ों। ते = से। मुख ते = मुँह से। निमख = आँख झपकने जितने समय के लिए। बुलाई = मैं (तेरा नाम) उचारूँ।3। सा = वह (स्त्रीलिंग)। कै मनि = के मन में। भाई = पसंद आती है। त्रिपति अघाई = पूर्ण तौर पर अघा जाते हैं।4।
अर्थ: हे मेरे पति-प्रभू! (मेरे पर) दया कर। हे मेरे ठाकुर! मुझे ऐसी बुद्धि दे कि मैं सदा तेरा नाम सिमरता रहूँ।1। रहाउ। (हे प्रभू! मेहर कर) मैं (तेरे) संतों की सेवा में (रह के, उनके लिए) पानी (ढोता रहूँ, उनको) पंखा (झलता रहूँ, उनके वास्ते आटा) पीसता रहूँ, और, हे गोबिंद! तेरी सिफत सालाह! तेरे गुण गाता रहूँ। मेरा मन हरेक सांस के साथ (तेरा) नाम चेता करता रहे, मैं तेरा यह नाम प्राप्त कर लूँ जो सुख शांति का खजाना है।1। हे प्रभू! तेरी कृपा से (मेरे अंदर से) माया का मोह समाप्त हो जाए, अहंकार दूर हो जाए, मेरी भटकना नाश हो जाय, मैं जहाँ-कहीं भी देखूँ, सबमें मुझे तू ही आनंद स्वरूप बसता दिखे।2। हे धरती के पति! तू दयालु है, कृपालु है, तू दया का खजाना है, तू विकारियों को पवित्र करने वाला है। जब मैं आँख झपकने जितने समय के लिए भी मुँह से तेरा नाम उचारता हूँ, मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि मैंने राज-भाग के करोड़ों सुख-आनंद भोग लिए हैं।3। हे नानक! वही जाप-ताप वही भक्ति सिरे चढ़ी समझें, जो परमात्मा को पसंद आती है। परमात्मा का नाम जपने से सारी तृष्णा समाप्त हो जाती है, (मायावी पदार्थों की ओर से) पूरे तौर पर तृप्त हो जाते हैं।4।10।
Dhanaasaree, Fifth Mehl: I carry the water, wave the fan, and grind the corn for the Saints; I sing the Glorious Praises of the Lord of the Universe. With each and every breath, my mind remembers the Naam, the Name of the Lord; in this way, it finds the treasure of peace. ||1|| Have pity on me, O my Lord and Master. Bless me with such understanding, O my Lord and Master, that I may forever and ever meditate on You. ||1||Pause|| By Your Grace, emotional attachment and egotism are eradicated, and doubt is dispelled. The Lord, the embodiment of bliss, is pervading and permeating in all; wherever I go, there I see Him. ||2|| You are kind and compassionate, the treasure of mercy, the Purifier of sinners, Lord of the world. I obtain millions of joys, comforts, and kingdoms if You inspire me to chant Your Name with my mouth, even for an instant. ||3|| That alone is perfect chanting, meditation, penance, and devotional worship service, which is pleasing to God’s Mind. Chanting the Naam, all thirst and desire is satisfied; Nanak is satisfied and fulfilled. ||4||10||
गूजरी श्री रविदास जी के पदे घरु ३ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ दूधु त बछरै थनहु बिटारिओ ॥ फूलु भवरि जलु मीनि बिगारिओ ॥१॥ माई गोबिंद पूजा कहा लै चरावउ ॥ अवरु न फूलु अनूपु न पावउ ॥१॥ रहाउ ॥ मैलागर बेर्हे है भुइअंगा ॥ बिखु अम्रितु बसहि इक संगा ॥२॥ धूप दीप नईबेदहि बासा ॥ कैसे पूज करहि तेरी दासा ॥३॥
राग गूजरी, घर ३ में भगत रविदास जी की बन्दों वाली बाणी। अकाल पुरख एक है और सतगुरु की कृपा द्वारा मिलता है। दूध तो थनों से ही बछड़े ने जूता कर दिया; फूल भवरे ने (सूंघ कर) और पानी मश्ली ने ख़राब कर दिय (सो, दूध पूल पानी यह तीनो ही जूठे हो जाने के कारन प्रभु के आगे भेंट करने योग्य न रह गए)॥१॥ हे माँ! गोबिं की पूजा करने के लिए मैं कहाँ से कोई वास्तु ले के भेंट करूँ? कोई और (सुच्चा) फूल (आदिक मिल) नहीं (सकता)। क्या मैं (इस कमीं के कारण) उस सुंदर प्रभु को कभी प्राप्त न कर सकूँगा? ॥१॥रहाउ॥ चन्दन के पौधों को सर्प जकड़े हुए हैं (और उन्होंने ने चन्दन को जूठा कर दिया है), जहर और अमृत (भी समुन्दर में) इकठे ही बसते हैं॥२॥ सुगंधी आ जान कर के धुप दीप और नैवेद भी (जूठे हो जाते हैं), (फिर हे प्रभु! अगर तेरी पूर इन वस्तुओं से ही हो सकती हो, तो यह जूठी चीजें तेरे भक्त किस प्रकार तेरे आगे रख कर तेरी पूजा करें? ॥३॥
Goojaree, Padas Of Ravi Daas Jee, Third House: One Universal Creator God. By The Grace Of The True Guru: The calf has contaminated the milk in the teats. The bumble bee has contaminated the flower, and the fish the water. ||1|| O mother, where shall I find any offering for the Lord’s worship? I cannot find any other flowers worthy of the incomparable Lord. ||1||Pause|| The snakes encircle the sandalwood trees. Poison and nectar dwell there together. ||2|| Even with incense, lamps, offerings of food and fragrant flowers, how are Your slaves to worship You? ||3||