धनासरी महला ४ ॥ मेरे साहा मै हरि दरसन सुखु होए ॥ हमरी बेदनि तू जानता साहा अवरु किआ जानै कोए ॥ रहाउ ॥ साचा साहिबु सचु तू मेरे साहा तेरा कीआ सचु सभु होए ॥ झूठा किस कउ आखीऐ साहा दूजा नाही कोए ॥१॥ सभना विचि तू वरतदा साहा सभि तुझहि धिआवहि दिनु राति ॥ सभि तुझ ही थावहु मंगदे मेरे साहा तू सभना करहि इक दाति ॥२॥ सभु को तुझ ही विचि है मेरे साहा तुझ ते बाहरि कोई नाहि ॥ सभि जीअ तेरे तू सभस दा मेरे साहा सभि तुझ ही माहि समाहि ॥३॥ सभना की तू आस है मेरे पिआरे सभि तुझहि धिआवहि मेरे साह ॥ जिउ भावै तिउ रखु तू मेरे पिआरे सचु नानक के पातिसाह ॥४॥७॥१३॥
अर्थ: हे मेरे पातशाह! (कृपा कर) मुझे तेरे दर्शन का आनंद प्राप्त हो जाए। हे मेरे पातशाह! मेरे दिल की पीड़ा को तूँ ही जानता हैं। कोई अन्य क्या जान सकता है ? ॥ रहाउ ॥ हे मेरे पातशाह! तूँ सदा कायम रहने वाला मालिक है, तूँ अटल है। जो कुछ तूँ करता हैं, वह भी उकाई-हीन है (उस में कोई भी उणता-कमी नहीं)। हे पातशाह! (सारे संसार में तेरे बिना) अन्य कोई नहीं है (इस लिए) किसी को झूठा नहीं कहा जा सकता ॥१॥ हे मेरे पातशाह! तूँ सब जीवों में मौजूद हैं, सारे जीव दिन रात तेरा ही ध्यान धरते हैं। हे मेरे पातशाह! सारे जीव तेरे से ही (मांगें) मांगते हैं। एक तूँ ही सब जीवों को दातें दे रहा हैं ॥२॥ हे मेरे पातशाह! प्रत्येक जीव तेरे हुक्म में है, कोई जीव तेरे हुक्म से बाहर नहीं हो सकता। हे मेरे पातशाह! सभी जीव तेरे पैदा किए हुए हैंऔर,यह सभी तेरे में ही लीन हो जाते हैं ॥३॥ हे मेरे प्यारे पातशाह! तूँ सभी जीवों की इच्छाएं पूरी करता हैं सभी जीव तेरा ही ध्यान धरते हैं। हे नानक जी के पातशाह! हे मेरे प्यारे! जैसे तुझे अच्छा लगता है, वैसे मुझे (अपने चरणों में) रख। तूँ ही सदा कायम रहने वाला हैं ॥४॥७॥१३
Meaning: O my King, beholding the Blessed Vision of the Lord’s Darshan, I am at peace. You alone know my inner pain, O King; what can anyone else know ? || Pause || O True Lord and Master, You are truly my King; whatever You do, all that is True. Who should I call a liar? There is no other than You, O King. ||1|| You are pervading and permeating in all; O King, everyone meditates on You, day and night. Everyone begs of You, O my King; You alone give gifts to all. ||2|| All are under Your Power, O my King; none at all are beyond You. All beings are Yours-You belong to all, O my King. All shall merge and be absorbed in You. ||3|| You are the hope of all, O my Beloved; all meditate on You, O my King. As it pleases You, protect and preserve me, O my Beloved; You are the True King of Nanak Ji. ||4||7||13||
अर्थ: हे भाई! सब जीवों को दातें देने वाला परमात्मा सब जीवों के सर पर रखवाला है। हे प्रभू! (हम जीवों को) तेरा ही आसरा है, तेरा ही सहारा है। रहाउ।हे प्रभू! तू सारे जगत को पैदा करने वाला है, जो कुछ तू करता है, वही होता है, तेरे बिना और कोई दूसरा कुछ करने के काबिल नहीं है। (हम जीवों को) तेरा ही ताण है, (हमारे) मन में तेरा ही सहारा है। हे नानक! सदा उस एक परमात्मा का नाम जपता रह।1।हे अपहुँच प्रभू! हे अथाह प्रभू! हे सबसे ऊँचे और बेअंत प्रभू! हर जगह हर वक्त तू ही तू है, तू ही सदा कायम रहने वाला है। हे प्रभू! जो मनुष्य तुझे सिमरते हैं, उनको कोई डर, कोई दुख छू नहीं सकता। हे नानक! गुरू की कृपा से ही (मनुष्य परमात्मा के) गुण गा सकते हैं।2।हे गुणों के खजाने! हे सुंदर गोबिंद! (जगत में) जो कुछ दिखता है तेरा ही स्वरूप है। हे मनुष्य! सदा उस परमात्मा का सिमरन करता रह। हे नानक! (परमात्मा का सिमरन) परमात्मा की कृपा से ही मिलता है।3।हे भाई! जिस मनुष्य ने परमात्मा का नाम जपा है, उससे कुर्बान होना चाहिए। उस मनुष्य की संगति में (रह के) सारा जगत संसार समुंद्र से पार लांघ जाता है। हे नानक! कह– हे प्रभू! मेरी तमन्ना पूरी कर, मैं (तेरे दर से) तेरे संत जनों के चरणों की धूल माँगता हूँ।4।2।
तिलंग घरु २ महला ५ ॥ तुधु बिनु दूजा नाही कोए ॥ तू करतारु करहि सो होए ॥ तेरा जोरु तेरी मनि टेक ॥ सदा सदा जपि नानक एक ॥१॥ सभ ऊपरि पारब्रहमु दातारु ॥ तेरी टेक तेरा आधारु ॥ रहाउ ॥ है तूहै तू होवनहार ॥ अगम अगाधि ऊच आपार ॥ जो तुधु सेवहि तिन भउ दुखु नाहि ॥ गुर परसादि नानक गुण गाहि ॥२॥ जो दीसै सो तेरा रूपु ॥ गुण निधान गोविंद अनूप ॥ सिमरि सिमरि सिमरि जन सोए ॥ नानक करमि परापति होए ॥३॥ जिनि जपिआ तिस कउ बलिहार ॥ तिस कै संगि तरै संसार ॥ कहु नानक प्रभ लोचा पूरि ॥ संत जना की बाछउ धूरि ॥४॥२॥
Tilang, Second House, Fifth Mehl: There is no other than You, Lord. You are the Creator; whatever You do, that alone happens. You are the strength, and You are the support of the mind. Forever and ever, meditate, O Nanak, on the One. ||1|| The Great Giver is the Supreme Lord God over all. You are our support, You are our sustainer. ||Pause|| You are, You are, and You shall ever be, O inaccessible, unfathomable, lofty and infinite Lord. Those who serve You, are not touched by fear or suffering. By Guru’s Grace, O Nanak, sing the Glorious Praises of the Lord. ||2|| Whatever is seen, is Your form, O treasure of virtue, O Lord of the Universe, O Lord of incomparable beauty. Remembering, remembering, remembering the Lord in meditation, His humble servant becomes like Him. O Nanak, by His Grace, we obtain Him. ||3|| I am a sacrifice to those who meditate on the Lord. Associating with them, the whole world is saved. Says Nanak, God fulfills our hopes and aspirations. I long for the dust of the feet of the Saints. ||4||2||
सूही महला १ ॥ मेरा मनु राता गुण रवै मनि भावै सोई ॥ गुर की पउड़ी साच की साचा सुखु होई ॥ सुखि सहजि आवै साच भावै साच की मति किउ टलै ॥ इसनानु दानु सुगिआनु मजनु आपि अछलिओ किउ छलै ॥ परपंच मोह बिकार थाके कूड़ु कपटु न दोई ॥ मेरा मनु राता गुण रवै मनि भावै सोई ॥१॥
(परमात्मा के प्यार में) रंगा हुआ मेरा मन (जैसे जैसे परमात्मा के) गुण याद करता है (वैसे वैसे) मेरे मन में वह परमात्मा ही प्यारा लगता जा रहा है। परमात्मा के गुण गावने, मानो, एक सीढ़ी है जो गुरु ने दी है और इस सीढ़ी के द्वारा सदा-स्थिर रहने वाले परमात्मा तक पहुच सकता है, (इस सीढ़ी पर चड़ने की बरकत से मेरे अंदर) सदा-थिर रहने वाला आनंद बन रहा है। जो मनुख (इस सीढ़ी की बरकत से) आत्मिक आनंद में आत्मिक अडोलता में पहुचता है वह सदा-थिर प्रभु को प्यारा लगता है। सदा-थिर प्रभु के गुण गाने वाली उस की मति अटल हो जाती है। परमात्मा अटल है। (अगर गुण गाने वाली मति नहीं बनी, तो) कोई स्नान, कोई दान, कोई ज्ञानता, और कोई तीर्थ स्नान परमात्मा को कुश नहीं कर सकता। (गुण गाने वाले मनुख के मन में से) धोखा-फरेब, मोह के चमत्कार, विकार आदि सब ख़तम हो जाते है। उस के अंदर न झूठ रह जाता है, न ठगी रह जाती है, न मेर-तेर रह जाती है। (प्रभु के प्यार में) रंगा हुआ मेरा मन (जैसे जैसे प्रभु के) गुण गता है (वैसे वैसे) मेरे मन में वह प्रभु ही प्यारा लगने लग जाता है॥१॥
Soohee, First Mehl: My mind is imbued with His Glorious Praises; I chant them, and He is pleasing to my mind. Truth is the ladder to the Guru; climbing up to the True Lord, peace is obtained. Celestial peace comes; the Truth pleases me. How could these True Teachings ever be erased? He Himself is Undeceivable; how could He ever be deceived by cleansing baths, charity, spiritual wisdom or ritual bathing? Fraud, attachment and corruption are taken away, as are falsehood, hypocrisy and duality. My mind is imbued with His Glorious Praises; I chant them, and He is pleasing to my mind. ||1||